में आज कांग्रेस का प्रदर्शन, राज्यपाल से करेगी मुलाकात .

 

हरियाणाः कृषि बिल के विरोध में आज कांग्रेस का प्रदर्शन, राज्यपाल से करेगी मुलाकात .


कृषि बिल का विरोध देशभर में हो रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा विरोध पंजाब और हरियाणा में देखा जा रहा है. इस बीच हरियाणा की प्रदेश कांग्रेस कमेटी आज सोमवार को किसान विरोधी बिल और किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए प्रदर्शन करने जा रही है.  






किसानों और राजनीतिक दलों के भारी विरोध के बावजूद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को संसद में पारित किए गए कृषि बिल पर अपनी मुहर लगा दी. हालांकि बिल को लेकर विरोध अभी भी जारी है. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी आज सोमवार को किसान विरोधी बिल और किसानों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन देगी 



कृषि बिल का विरोध देशभर में हो रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा विरोध पंजाब और हरियाणा में देखा जा रहा है. इस बीच हरियाणा की प्रदेश कांग्रेस कमेटी आज सोमवार को किसान विरोधी बिल और किसानों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए प्रदर्शन करने जा रही है. प्रदर्शन करने के बाद उसकी ओर से राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. 

कोरोना महामारी को देखते हुए कांग्रेस के सिर्फ वरिष्ठ नेता ही इसमें भाग लेंगे, जिनमें मुख्यत: कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा, विधायक दल के नेता और नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला भाग लेंगे.

हरियाणा प्रदेश पार्टी का यह प्रदर्शन सुबह साढ़े 11 बजे से कांग्रेस कार्यालय (140 सेक्टर 9 बी) से शुरू होकर राज्यपाल के निवास तक जाएगा. 

राष्ट्रपति ने किए हस्ताक्षर 


इस बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज रविवार को संसद से पास हुए तीन कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इसके साथ ही ये तीनों विवादास्पद विधेयक अब कानून बन गए हैं. राष्ट्रपति ने संसद से पास हुए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर 24 सितंबर को और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके बाद ये तीनों विधेयक अब कानून बन गए हैं. 


हालांकि कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) समेत कई दलों ने राष्ट्रपति कोविंद से संसद द्वारा पारित होने के बाद बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया था. अकाली दल को इस बिल के विरोध में एनडीए से बाहर निकल गया.

अकाली प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने 21 सितंबर को राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात के बाद कहा था, 'हमने राष्ट्रपति कोविंद से संसद में पारित किए गए किसान विरोधी बिलों पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ अनुरोध किया है. हमने उनसे उन बिलों को संसद में वापस भेजने का अनुरोध किया है.' 


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